A Simple Key For Shiv chaisa Unveiled

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

एक कमल shiv chalisa lyricsl प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

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